हिंदी में Carpenter को बढ़ई कहते हैं। यह वो इंसान है जो लकड़ी का सामान बनाता है। जैसे की कूर्सी, मेज, पलंग, तख्ता, टेबल, और यहाँ तक की नए ज़माने की किचन का फर्नीचर भी Carpenter महोदय ही बनाते हैं।
उपरोक्त समान के अलावा एक कारपेंटर लकड़ी की खिड़की एवं दरवाज़े भी बनाता है। जब भी कोई नया मकान या दुकान बनता है तो उसका फर्नीचर बनाने के लिए बढ़ई यानि कारपेंटर की आवश्यकता पढ़ती है। हम युंह भी कह सकते हैं की बिना कारपेंटर के एक न्यारा और प्यारा घर संपुर्ण तरीके से नहीं बन सकता। हाँ किसी को झोंपड़ी नुमा घर बनाना है तो बात अलग है।
क्या आपको पता है की कारपेंटर को खाती भी कहते हैं। हमारे देश भारत में कई गांव खातीपुरा नाम से जाने जाते हैं। ये वह गांव हैं जहाँ पर कारपेंटरों का जमघट लगता है। यानि बहुत से खातियों के परिवार वहां बस्ते हैं।
बढ़ई एक कुशल कारीगर होता है। एक आरी और कुछ औजार हाथ में लेकर वो लकड़ी को वैसे ही तराशता और संवारता है जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर को।
क्या आपने सोचा है कभी की यदि बढ़ई नहीं होते तो क्या होता ? भैया, फिर तो बिस्तर की जगह जमीन पर सोना पड़ता। और लिखने के लिए कॉपी को रखने के लिए मेज भी नहीं मिलती। घर का सामान फैला रहता यहाँ वहां क्योंकि अलमारी ही नहीं होती इस दुनिया में। आपको समझ में आ गया होगा की बढ़ई की उपयोगिता क्या है हमारे जीवन में।
कारपेंटरी (बढ़ई का क़ाम ) बहुत ही महनत भरा है। दिन - रात एक करने पड़ते हैं तब जाकर कहीं टाइम से (गृह प्रवेश के उद्धघाटन ) से पहले पूरा फर्नीचर बन पाता है। Carpenter पहले तो लकड़ी का चुनाव करता है (सही लकड़ी ढूंढ पाना भी एक कला है ), फिर उसको सही माप के हिसाब से काटता और चीरता है , फिर डिजाईन बनाता है, कील ठोकता है, चिपकता है, तब जाकर कहीं काम पूरा होता है।
वैसे आजकल तो नई नई मशीन आ गई हैं जिनका उपयोग कर बढ़ई अपना काम जल्दी और साफ़ सुथरे ढंग से पूर्ण कर लेता है। पहले ज़माने में तो हाथ ही मशीन का काम करते थे। काम भी ज्यादा था और मेहनताना भी कम। आजकल तो कारपेंटर लोग अच्छी कमाई कर लेते हैं। एक नए घर या दुकान में १० लाख से लेकर ५० लाख तक का फर्नीचर भी लग जाता है। ज्यादातर तो लकड़ी की कीमत ही होती है। बाकी पैसा कारपेंटर अपनी कला का लेता है।
कारपेंटर बहुत ही एकाग्र किस्म के लोग होते हैं। ध्यान से सारा काम करना पढता है वरना करि कराइ मेहनत पर पानी फिर सकता है। यहाँ तक की शारीरिक हानि भी हो सकती है। लकड़ी चीरते समय या कील ठोकते समय लग भी सकती है।
कारपेंटरों का उल्लेख हमेशा से ही मिलता है। राजा महाराजाओं के ज़माने से भी पहले से। आप दुनिया के खूबसूरत से खूबसूरत महल में जाइये आपको एक से एक शानदार फर्नीचर के दर्शन मिलते हैं। ये सब दर्शाता है की राजा महाराज भी अपने साम्राज्य और दरबार में कुशल और परिपक़्व कार्पेंटरों को रखना पसंद करते थे।
यदि आपको Carpenter के बारे में और भी जानकारी (information ) चाहिए तो जाइये पास के बाजार में किसी फर्नीचर की दुकान पर और कीजिये कारपेंटर से बात हिंदी में।
उपरोक्त समान के अलावा एक कारपेंटर लकड़ी की खिड़की एवं दरवाज़े भी बनाता है। जब भी कोई नया मकान या दुकान बनता है तो उसका फर्नीचर बनाने के लिए बढ़ई यानि कारपेंटर की आवश्यकता पढ़ती है। हम युंह भी कह सकते हैं की बिना कारपेंटर के एक न्यारा और प्यारा घर संपुर्ण तरीके से नहीं बन सकता। हाँ किसी को झोंपड़ी नुमा घर बनाना है तो बात अलग है।
क्या आपको पता है की कारपेंटर को खाती भी कहते हैं। हमारे देश भारत में कई गांव खातीपुरा नाम से जाने जाते हैं। ये वह गांव हैं जहाँ पर कारपेंटरों का जमघट लगता है। यानि बहुत से खातियों के परिवार वहां बस्ते हैं।
बढ़ई एक कुशल कारीगर होता है। एक आरी और कुछ औजार हाथ में लेकर वो लकड़ी को वैसे ही तराशता और संवारता है जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर को।
क्या आपने सोचा है कभी की यदि बढ़ई नहीं होते तो क्या होता ? भैया, फिर तो बिस्तर की जगह जमीन पर सोना पड़ता। और लिखने के लिए कॉपी को रखने के लिए मेज भी नहीं मिलती। घर का सामान फैला रहता यहाँ वहां क्योंकि अलमारी ही नहीं होती इस दुनिया में। आपको समझ में आ गया होगा की बढ़ई की उपयोगिता क्या है हमारे जीवन में।
कारपेंटरी (बढ़ई का क़ाम ) बहुत ही महनत भरा है। दिन - रात एक करने पड़ते हैं तब जाकर कहीं टाइम से (गृह प्रवेश के उद्धघाटन ) से पहले पूरा फर्नीचर बन पाता है। Carpenter पहले तो लकड़ी का चुनाव करता है (सही लकड़ी ढूंढ पाना भी एक कला है ), फिर उसको सही माप के हिसाब से काटता और चीरता है , फिर डिजाईन बनाता है, कील ठोकता है, चिपकता है, तब जाकर कहीं काम पूरा होता है।
वैसे आजकल तो नई नई मशीन आ गई हैं जिनका उपयोग कर बढ़ई अपना काम जल्दी और साफ़ सुथरे ढंग से पूर्ण कर लेता है। पहले ज़माने में तो हाथ ही मशीन का काम करते थे। काम भी ज्यादा था और मेहनताना भी कम। आजकल तो कारपेंटर लोग अच्छी कमाई कर लेते हैं। एक नए घर या दुकान में १० लाख से लेकर ५० लाख तक का फर्नीचर भी लग जाता है। ज्यादातर तो लकड़ी की कीमत ही होती है। बाकी पैसा कारपेंटर अपनी कला का लेता है।
कारपेंटर बहुत ही एकाग्र किस्म के लोग होते हैं। ध्यान से सारा काम करना पढता है वरना करि कराइ मेहनत पर पानी फिर सकता है। यहाँ तक की शारीरिक हानि भी हो सकती है। लकड़ी चीरते समय या कील ठोकते समय लग भी सकती है।
कारपेंटरों का उल्लेख हमेशा से ही मिलता है। राजा महाराजाओं के ज़माने से भी पहले से। आप दुनिया के खूबसूरत से खूबसूरत महल में जाइये आपको एक से एक शानदार फर्नीचर के दर्शन मिलते हैं। ये सब दर्शाता है की राजा महाराज भी अपने साम्राज्य और दरबार में कुशल और परिपक़्व कार्पेंटरों को रखना पसंद करते थे।
यदि आपको Carpenter के बारे में और भी जानकारी (information ) चाहिए तो जाइये पास के बाजार में किसी फर्नीचर की दुकान पर और कीजिये कारपेंटर से बात हिंदी में।
Nice Information :D
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteWAH, KYA BAT KAHI HAI APNE.
ReplyDeleteVery nice 👍
ReplyDeleteWinStar World Casino Online | Play Now With $5,000 Bonus 우리카지노 쿠폰 우리카지노 쿠폰 sbobet ทางเข้า sbobet ทางเข้า 207NFL schedule week 3 odds
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